Wednesday, February 7, 2018

सुनो

सुनो
अब रात साढ़े दस बजे
फ़ोन की घन्टी नहीं बजती
लेकिन अब भी उस मख़सूस वक़्त पर
समाअतों को इंतज़ार होता है
जैसे अचानक
फ़ोन की घन्टी बज उठेगी
और फ़ोन उठाने पर
दूसरी जानिब से
कोई आहिस्ता से पूछेगा
"सो तो नहीं गए थे?
तबियत कैसी है?
और हाँ, दवा बाक़ायदगी से लेते हो ना?
घर में सब लोग कैसे हैं?
अपना ख़याल रखना
अच्छा फिर बात होगी"
ख़ुदा हाफ़िज़ कह कर
रिसीवर रख देगा

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