Wednesday, December 13, 2017

अभी ठहरो

अभी ठहरो
अभी कुछ दिन लगेंगे
वस्ल को ख़्वाहिश बनाने में
तुम्हें अपना समझने के लिए
दिल को मनाने में
अभी कुछ दिन लगेंगे

अभी हम अपनी अपनी ख़्वाहिशों को
दिल से मिलने दें
उन्हें महसूस करने दें
वफ़ा क्या और तक़ाज़ा ए मुहब्बत की हदें क्या हैं
हदों की सरहदें क्या हैं
फिर इनके पार जाने का सबब क्या है
अभी ठहरो
अभी कुछ दिन लगेंगे

ध्यान ओ बेध्यानी में
तुम्हारी भीगती बातों की दरिया की रवानी में
कहानी ही कहानी में
अगर बेज़ा वो मंज़िल, कोई ख़्वाहिश
दिलों की कोख से पैदा हुई तो कौन देखेगा
हमारे नाम की सच्चाई को
और ख़्वाहिशों के बेनसब महताब चेहरों को
अभी ठहरो
अभी कुछ दिन लगेंगे

रिश्ता ए बेनाम को हमनाम करने में
कहानी को किसी आगाज़ से अंजाम करने में
कहीं इज़हार करने में
हमें इक़रार करने में
अभी ठहरो
अभी कुछ दिन लगेंगे

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