ऐ दिल पहले भी तन्हा थे ऐ दिल हम तन्हा आज भी हैं
और उन ज़ख़्मों और दाग़ों से अब अपनी बातें होती हैं
जो ज़ख़्म कि सुर्ख़ गुलाब हुए जो दाग़ कि बदर ए मुनीर हुए
इस तरह से कब तक जीना है मैं हार गया इस जीने से
कोई अब्र उड़े किसी क़ुल्ज़ुम से रस बरसे मेरे वीराने पर
कोई जागता हो कोई कुढ़ता हो मेरे देर से वापस आने पर
कोई साँस भरे मेरे पहलू में कोई हाथ धरे मेरे शाने पर
और दबे दबे लहजे में कहे तुमने अब तक बड़े दर्द सहे
तुम तन्हा तन्हा जलते रहे तुम तन्हा तन्हा चलते रहे
सुनो तन्हा चलना खेल नहीं चलो आओ मेरे हमराह चलो
चलो नए सफ़र पर चलते हैं चलो मुझे बना के गवाह चलो
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